साथ हो सब तो रिश्तों का
साथ हो सब तो रिश्तों का
मोल कुछ और है
पैसों के खातिर मैं घर से कहीं
और हूं तुम सब कहीं और हो
शिव प्रताप लोधी
साथ हो सब तो रिश्तों का
मोल कुछ और है
पैसों के खातिर मैं घर से कहीं
और हूं तुम सब कहीं और हो
शिव प्रताप लोधी