साथ यूँ छोडकर जा रही क्यो प्रिये
गंगोदक सवैया
212 212 212 212,212 212 212 212
साथ यूँ छोड़ कर जा रही क्यों प्रिये
जिन्दगी बिन तुम्हारे न कट पायगी।
सपने’ सारे सुहाने मिटेंगे सनम
ये कहानी अधूरी ही’ रह जायगी।
ख़्वाब सारे प्रिये दर बदर हो गए
जो बचे हैं उन्हें ही सजा लीजिये।
प्यार के जब प्रथम मोड़ पर तुम मिली
जो कसम ली वही तो निभा दीजिये।
फेर के यूँ नज़र जा रही क्यों सनम
साथ देदो अभी बात बन जायगी।
साथ यूँ छोड़ कर जा रही क्यों प्रिये
जिन्दगी बिन तुम्हारे न कट पायगी।
बीच में है हमारे तुम्हारे सनम
नफ़रतों का जो परदा हटा दीजिये।
लौट आओ प्रिये आपको है कसम
प्यार से फिर गले तुम लगा लीजिये।
साख पर जो लगे फूल मुरझा गए
लौट आओ ये’ कलियां भी खिल जायँगी
साथ यूँ छोड़ कर जा रही क्यों प्रिये
जिन्दगी बिन तुम्हारे न कट पायगी।
जिंदगी इस तरह कुछ सजाओ प्रिये
चाँद मैं सिर्फ हूँ तुम बनो चांदनी।
आ रही है फिजा से तरन्नुम मगर
बन सकूँ राग गर तुम बनो रागिनी।
इस तरह जो सनम साथ तेरा मिले
जिंदगी फिर से’ अपनी सँवर जायगी।
साथ यूँ छोड़ कर जा रही क्यों प्रिये
जिन्दगी बिन तुम्हारे न कट पायगी।
सपने’ सारे सुहाने मिटेंगे सनम
ये कहानी अधूरी ही’ रह जायगी।
साथ यूँ छोड़ कर जा रही क्यों प्रिये
जिन्दगी बिन तुम्हारे न कट पायगी।
अभिनव मिश्र अदम्य