*** साथ निभाया नहीं ***
*** साथ निभाया नहीं ***
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हाथ से हाथ मिलाया नही,
साथ से साथ निभाया नहीं।
फासला आज बहुत ज्यादा,
प्रेम का साज बजाया नहीं।
दूरियां रोज रही बढ़ती,
मन रहा मैल मिटाया नहीं।
खोल कर भेद वो चल दिए,
राज कोई भी छुपाया नहीं।
रह गये प्यार सिमट कर यूँ,
दायरा खास बढ़ाया नहीं।
खो दिया यार यूँ मनसीरत,
शीश भी आन झुकाया नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)