साथी मीठे सुर गुंजाओ
सोंच समझकर कदम बढ़ाओ राह बहुत पथरीली है।
साथी मीठे सुर गुंजाओ, दुनियाँ तो जहरीली है।।
ख़ुशी परायी देख ख़ुशी से किसका हृदय मचलता है।
कौन हृदय है जिसके भीतर प्रेम- पपीहा पलता है।
बिना कपट के किस कोकिल के स्वर का जादू चलता है।
स्वार्थ न हो तो तुम्हीं बताओ, किसकी कूक सुरीली है।
साथी मीठे सुर गुंजाओ दुनियाँ तो जहरीली है।।
रसनाओं के विषदंतों पर मधुरावरणी चोगा है।
कानों ने इनसे उपजा विष सीस झुकाकर भोगा है।
सहनशक्ति है अगर बलवती सक्षम तभी दरोगा है।
श्रवणों! उससे खैर मनाओ जिसने रसना सी ली है।
साथी तुम्हीं मधुरतम गाओ दुनियाँ तो जहरीली है।।
मोहक कलियाँ मिल जाती हैं राहों में आते जाते।
कुछ के अधर इशारा करते कुछ के नैना मुस्काते।
मृग मरीचिका ये आकर्षण सम्मोहन ही बिखराते।
इस मद की जद में मत आओ, वनिता नयन नशीली है।
साथी मीठे सुर गुंजाओ दुनियाँ तो जहरीली है।।
जीवन एक दौड़ स्पर्धा ठहर गए तो हार गए।
बाधाओं के गहरे सागर जो उतरे वो पार गए।
चलते चलते थके वही जो नहीं समय की धार गए।
समझो सँभलो बढ़ते जाओ पगडण्डी रपटीली है।
साथी मीठे सुर गुंजाओ दुनियाँ तो जहरीली है।।
संजय नारायण