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25 Jul 2021 · 2 min read

साथी छंद

साथी छंद
मुक्तामणि छंद का सम चरण + दोहे का सम चरण =साथी छंद
विधान – 23 मात्रा, 12 -11
विषम चरण में यति वाचक भार 22गा गा , सम चरण 21( ताल
कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l

(इस छंद का उद्भव आदरणीय‌ श्री आर के प्रजापति ” साथी” जी द्वारा किया गया है , यह गेय छंद है ,
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साथी छंद –

मतलब की जो रखते , यारी मन में ठान |
मार कटारी छाती , खुद ही करें निशान |
कौन यहाँ समझाता , मत बनना नादान |
उपकारी इस जग में , माने सब भगवान ||

ऐसी कविता बोलें, कवि कुल का जो धर्म |
संचार. रहे साहस , उदित. रहे शुभ कर्म |
गायब रहे निरासा , बिखरे तट मुस्कान |
प्रेम. भाव का दर्शन , बोले हिन्दुस्तान |
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साथी छंद में मुक्तक

जब भी जिसने ठानी , हल. होते हालात |
एक दिवस भी दुश्मन , आकर करता बात |
नेक नियत भी रहती , जिसकी दिल से साफ –
बाल न बांका होता , हार मानती घात |

कुछ लकीर पर चलकर , बनते रहे फकीर |
हम लकीर से हटकर , देखे नई. नजीर |
सृजन नहीं है पानी , दें बर्तन में डाल ~
वेग पवन हम माने , मन को रखे कबीर |
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
साथी छंद गीतिका

सुंदर लगती छाया , पेड़ मिले फलदार |
ऐसा लगता यारो , यहाँ खिले परिवार ||

नहीं उठाना पत्थर , देना उनको फेंक ,
बदले में वह देगें , मिले- जुले उपहार |

कभी न दिखते मानी, सब. सहते आघात ,
हर अवसर पर मिलते, सदा ढले तैयार ||

पेड़ लगाना यारो , मौसम है बरसात ,
पुण्य कमाकर जाओ , ईश तले भवपार |

पेड़ सदा उपयोगी , कुछ तो हरते रोग ,
हितकारी है सेवन , खूब. फले रसधार |

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साथी छंद गीत

तोता बने न ज्ञानी , खूब लगा लो जोर | मुखडा
कभी न बरसे पानी , करने से कुछ शोर ||टेक

नहीं बुरीं हैं बातें , अपना ही हित देख | अंतरा
चलें किसी पर लातें , ऐसा भी मत लेख ||
कर देती बदनामी , जहाँ अनीति एक |
मत करना नादानी , अपना छोड़ विवेक ||

बोल वचन है प्यारे , देखो अपनी ओर |पूरक
कभी न बरसे पानी , करने से कुछ शोर ||टेक

कटु वाणी भी जग में , खो देती सम्मान |अंतरा
घाव आपके भरते , रहते चोट निशान ||
एक. परीक्षा जानो , संकट का हो दौर |
खुद. निपटाना प्यारे , नहीं खोजना और ||

संकट सब टल जाते, मन का नाचे मोर |पूरक
कभी न बरसे पानी , करने से कुछ शोर ||टेक

सुंदर लगती छाया , पेड़ जहाँ फलदार |अंतरा
ऐसा लगता यारो , जैसे हो परिवार ||
नहीं उठाना पत्थर , कर. देना उपकार |
बदले में तब देगे , पेड़ कई उपहार ||

करो कर्म हितकारी , और सुहानी भोर |पूरक
कभी न बरसे पानी , करने से कुछ शोर ||टेक
=========================
समस्त उदाहरण स्वरचित व मौलिक
-©सुभाष सिंघई
एम•ए• हिंदी साहित्य ,दर्शन शास्त्र

Language: Hindi
Tag: गीत
1578 Views
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