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30 May 2024 · 1 min read

सात समंदर पार

वो बादलों के ऊपर
उड़ता जहाज़
तुम्हें मुझसे बहुत दूर
सात समंदर पार ले गया
जैसे मेरे अंदर कुछ टूट कर
बिखरता गया
हाथों से कुछ छूटता गया
वो जहाज़ जैसे
सात समंदर पार करता रहा
खारे पानी के सात समंदर
मेरी आँखों में समा गए
अब हर रोज इन आँखों में
ज्वार भाटा आता है
समंदर उफन उफन कर
सारे शहर को डुबाने लगता है
वो बादलों के ऊपर
उड़ता जहाज़
मेरी आँखों में
ज्वार भाटा लाता है
वो बादलों के ऊपर
उड़ता जहाज़
तुम्हें मुझसे बहुत दूर
सात समंदर पार ले गया…

©️कंचन”अद्वैता”

1 Like · 32 Views
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