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30 Sep 2022 · 1 min read

साजन तेरे गाँव का, पनघट इतना दूर

साजन तेरे गाँव का, पनघट इतना दूर
चलते चलते हो गई, थककर चकनाचूर
थककर चकनाचूर, रखी है सिर पर गागर
क्या है मेरा हाल,देख ले तू भी आकर
कहे ‘अर्चना’ बात, सोच में डूबा है मन
चले गये परदेश, छोड़ क्यों मुझको साजन

डॉ अर्चना गुप्ता
30-09-2022

5 Likes · 308 Views
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