साजन जाए बसे परदेस
दुल्हन से मैं बिरहन हो गई
साजन जाए बसे परदेस
किसके हाथ पिया को भेजूं
घर लौटन दा संदेश
किसके ख़ातिर पहनूं चूड़ी
कौन सुनेगा खनक चुड़िन दी
किसके ख़ातिर झुमका पहनूं
और लगाऊं माथे बिन्दी
किसके ख़ातिर सिंगार करूं मैं
और संवारूं केश…
साजन जाए बसे परदेस
दुल्हन से मैं बिरहन हो गई
साजन जाए बसे परदेस
किसके हाथ पिया को भेजूं
घर लौटन दा संदेश…
अंसुअन डूबी अखियां देखें
राह पिया की राह पिया की
हिचकी के संग सिसकी आवैं
कहत बने नहिं पीर हिया की
दर्पण टूटा देख के मेरा
बिरहन वाला भेष…
साजन जाए बसे परदेस
दुल्हन से मैं बिरहन हो गई
साजन जाए बसे परदेस
किसके हाथ पिया को भेजूं
घर लौटन दा संदेश…
साजन जाए बसे परदेस
शिवकुमार बिलगरामी