सागर बोला, सुन ज़रा
सागर बोला सुन ज़रा, मैं नदिया का पीर
दूर तलक मुझमें भरा, बस आँखों का नीर
सर सर सरिता जब करे,कल कल होता नाद
दिल के इस तूफान को, चीर सके तो चीर।।
सूर्यकांत द्विवेदी
सागर बोला सुन ज़रा, मैं नदिया का पीर
दूर तलक मुझमें भरा, बस आँखों का नीर
सर सर सरिता जब करे,कल कल होता नाद
दिल के इस तूफान को, चीर सके तो चीर।।
सूर्यकांत द्विवेदी