सागर की लहरें सुनों
#विधा_दोहा_गीत
सागर की लहरें सुनों, तुम से करूँ गुहार।
झूठ-मूठ का ही सही,हमसे कर लो प्यार। ।
मोती मानिक से भरे,तुम हो बहुत विशाल।
लहर-लहर कर हर घड़ी, मारो नहीं उछाल।
अपनी ताकत का सदा, शेखी नहीं बघार।
झूठ-मूठ का ही सही,हमसे कर लो प्यार। ।
गुस्से के तेवर कभी, कभी बहुत ही शांत।
गूढ़ रहस्यों से भरा,तेरा हर इक प्रांत।।
कर लो हमसे दोस्ती,मिल लो बाँह पसार।
झूठ-मूठ का ही सही,हमसे कर लो प्यार। ।
उठ-उठ गिर-गिर कर लहर,बहुत लगाती जोड़।
झाग युक्त निज चिन्ह को,तट पर जाती छोड़।
लहरें होकर यूँ विकल, किसको रही पुकार।
झूठ-मूठ का ही सही,हमसे कर लो प्यार। ।
शत -शत घातों को सहे, विष का करती पान।
नभ का माथा चूमती, अतल सिन्धु को छान।।
कोटि -कोटि आकुल हृदय,नगपति-सा ललकार।
झूठ-मूठ का ही सही,हमसे कर लो प्यार। ।
करती है संचार तू, ताकत ,साहस, जोश ।
अनुपम अभिनय से करें, कण-कण को मदहोश।।
धीरे-धीरे से बहो,सारी थकन उतार।
झूठ-मूठ का ही सही,हमसे कर लो प्यार। ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली