Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Apr 2020 · 1 min read

साक्षात्कार

साक्षात्कार
(लघुकथा)
__________

हरिराम की उच्च आकांशा ने उसे कब क्रूर और अमानवीय बना दिया उसे पता ही नहीं चला । नित्य वन्यजीवों का शिकार कर उनका मांस और चर्म बेचना उसका एकमात्र ध्येय रहता था । शिकार में निपुण इतना कि उसका शब्द-भेदी बाण भी कभी चूकता नहीं था । एक दिन जब हरिराम जंगल की ओर आया तो कुछ हलचल सुनते ही उसने अपना अचूक शब्दभेदी बाण छोड़ दिया । जब वह शिकार को संभालने गया तो हरिराम को काटो तो खून नहीं ! बस ! उसकी आंखों से एक अविरल अश्रुधारा प्रवाहित हो चली । यह अश्रुधारा उसकी चहेती बछड़ी के लिए थी जो उसके पीछे-पीछे जंगल में आ गई थी और अब उसके शब्दभेदी बाण से अंतिम सांसें ले रही थी । बछिया की निष्प्राण होती आंखों में एक मूक वेदना हरिराम को निहार रही थी । हरिराम इस अप्रत्याशित दु:खद घटना से रूबरू हो रहा था। यह वह क्षण था जिसमें वह अपनी बछिया की आंखों में अपनी अमानवीय लालसा का साक्षात्कार कर रहा था ।

— डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”
___________________________________

Language: Hindi
2 Likes · 800 Views

You may also like these posts

कौन...? इक अनउत्तरित प्रश्न
कौन...? इक अनउत्तरित प्रश्न
पं अंजू पांडेय अश्रु
अमृत
अमृत
Rambali Mishra
किसका  हम शुक्रिया करें,
किसका हम शुक्रिया करें,
sushil sarna
मन दुखित है अंदर से...
मन दुखित है अंदर से...
Ajit Kumar "Karn"
दुनिया  की बातों में न उलझा  कीजिए,
दुनिया की बातों में न उलझा कीजिए,
करन ''केसरा''
स्वर्ग से सुंदर अपना घर
स्वर्ग से सुंदर अपना घर
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जो सृजन करता है वही विध्वंश भी कर सकता है, क्योंकि संभावना अ
जो सृजन करता है वही विध्वंश भी कर सकता है, क्योंकि संभावना अ
Ravikesh Jha
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
आसुओं की भी कुछ अहमियत होती तो मैं इन्हें टपकने क्यों देता ।
आसुओं की भी कुछ अहमियत होती तो मैं इन्हें टपकने क्यों देता ।
Lokesh Sharma
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Mukesh Kumar Sonkar
खो गई हो
खो गई हो
Dheerja Sharma
"पैसा"
Dr. Kishan tandon kranti
शरीर और आत्मा
शरीर और आत्मा
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
इशरत हिदायत ख़ान
पहले नाराज़ किया फिर वो मनाने आए।
पहले नाराज़ किया फिर वो मनाने आए।
सत्य कुमार प्रेमी
वरद् हस्त
वरद् हस्त
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
हमराज
हमराज
ललकार भारद्वाज
कैसे करूँ मैं तुमसे प्यार
कैसे करूँ मैं तुमसे प्यार
gurudeenverma198
चलतें चलों
चलतें चलों
Nitu Sah
_______ सुविचार ________
_______ सुविचार ________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
4269.💐 *पूर्णिका* 💐
4269.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
रिश्तों की बंदिशों में।
रिश्तों की बंदिशों में।
Taj Mohammad
मुझको अच्छी लगी जिंदगी
मुझको अच्छी लगी जिंदगी
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी
महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी
Seema gupta,Alwar
#विषय उत्साह
#विषय उत्साह
Rajesh Kumar Kaurav
एक तजुर्बा ऐसा भी
एक तजुर्बा ऐसा भी
Sudhir srivastava
रंग बिरंगे फूलों से ज़िंदगी सजाई गई है,
रंग बिरंगे फूलों से ज़िंदगी सजाई गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
*यह तो बात सही है सबको, जग से जाना होता है (हिंदी गजल)*
*यह तो बात सही है सबको, जग से जाना होता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
दार्शनिकों को चुनौती : कर्म अभी, तो उसका फल बाद में क्यों? (Challenge to philosophers: If the action is done now, then why its consequences later?)
दार्शनिकों को चुनौती : कर्म अभी, तो उसका फल बाद में क्यों? (Challenge to philosophers: If the action is done now, then why its consequences later?)
Acharya Shilak Ram
Loading...