Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2024 · 1 min read

सांसें स्याही, धड़कनें कलम की साज बन गई,

सांसें स्याही, धड़कनें कलम की साज बन गई,
दिल बयानी महज़ रूहानी अल्फाज़ बन गई

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

1 Like · 13 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पत्नी जब चैतन्य,तभी है मृदुल वसंत।
पत्नी जब चैतन्य,तभी है मृदुल वसंत।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
तेज़ाब का असर
तेज़ाब का असर
Atul "Krishn"
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Shaily
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
Er.Navaneet R Shandily
2860.*पूर्णिका*
2860.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
छन-छन के आ रही है जो बर्गे-शजर से धूप
छन-छन के आ रही है जो बर्गे-शजर से धूप
Sarfaraz Ahmed Aasee
सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
Manju sagar
*राम-राम कहकर ही पूछा, सदा परस्पर हाल (मुक्तक)*
*राम-राम कहकर ही पूछा, सदा परस्पर हाल (मुक्तक)*
Ravi Prakash
नवम दिवस सिद्धिधात्री,सब पर रहो प्रसन्न।
नवम दिवस सिद्धिधात्री,सब पर रहो प्रसन्न।
Neelam Sharma
पूस की रात।
पूस की रात।
Anil Mishra Prahari
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
🥀 #गुरु_चरणों_की_धूल 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
भ्रम
भ्रम
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
किससे कहे दिल की बात को हम
किससे कहे दिल की बात को हम
gurudeenverma198
जब उम्र कुछ कर गुजरने की होती है
जब उम्र कुछ कर गुजरने की होती है
Harminder Kaur
माटी के रंग
माटी के रंग
Dr. Kishan tandon kranti
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (1)
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (1)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कभी मायूस मत होना दोस्तों,
कभी मायूस मत होना दोस्तों,
Ranjeet kumar patre
साजिशें ही साजिशें...
साजिशें ही साजिशें...
डॉ.सीमा अग्रवाल
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
DR arun कुमार shastri
DR arun कुमार shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फूल को,कलियों को,तोड़ना पड़ा
फूल को,कलियों को,तोड़ना पड़ा
कवि दीपक बवेजा
आहिस्था चल जिंदगी
आहिस्था चल जिंदगी
Rituraj shivem verma
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
पूर्वार्थ
■ लोकतंत्र पर बदनुमा दाग़
■ लोकतंत्र पर बदनुमा दाग़ "वोट-ट्रेडिंग।"
*प्रणय प्रभात*
बच्चे
बच्चे
Kanchan Khanna
लड़को की योग्यता पर सवाल क्यो
लड़को की योग्यता पर सवाल क्यो
भरत कुमार सोलंकी
शब्द
शब्द
ओंकार मिश्र
दर्द  जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
दर्द जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
Ashwini sharma
प्रेमी ने प्रेम में हमेशा अपना घर और समाज को चुना हैं
प्रेमी ने प्रेम में हमेशा अपना घर और समाज को चुना हैं
शेखर सिंह
Loading...