सांवरियाँ तेरे दर्शन करने- भजन अरविंद भारद्वाज
सांवरियाँ तेरे दर्शन करने
जग घूम लिया मैने सारा, तुमको खाटू में पाया
सांवरियाँ तेरा दर्शन करने, आज यहाँ मैं आया
आकर देखा गजब नजारा, मोहिनी छवि निराली
चकाचौंध हूँ देख के तेरी, सूरत ये मतवाली
शीश काट पल भर में अपना, दानी तू कहलाया
सवारियाँ तेरा दर्शन करने,आज यहाँ मैं आया
जीवन चक्र बहुत है मुश्किल, कष्टों ने था घेरा
माँ के आशीर्वाद से मुझको, द्वार मिला हैं तेरा
दुख में छोड़ा अपनों नें जब, तुमने ही अपनाया
सवारियाँ तेरा दर्शन करने,आज यहाँ मैं आया
भटक गया था राह मैं अपनी, निर्गुण थी छवि बनाई
शोक में डूबा रहता था, लूट गई थी मेरी कमाई
फिर से आस जगी जीवन की, भोग तेरा जब खाया
सवारियाँ तेरा दर्शन करने,आज यहाँ मैं आया
काम-काज मेरा डूब गया था, कर्ज का बोझ उठाया
प्रसन्नचित्त तूझे देख के हो गया, मन में तू ही समाया
अरविन्द लिखता भजन तेरे, भक्तों ने आज है गाया
सवारियाँ तेरा दर्शन करने, आज यहाँ मैं आया
© अरविन्द भारद्वाज