सांवरा है तूँ
मन भ्रमर सा है तुम्हारा और बांवरा है तूँ।
सोच उजली है तुम्हारी और सांवरा है तूँ।
मन मेरा भटकाया तुमने छल किया छलिया
रहोगे,
मेरी जद तुझ तक है मेरा दायरा है तूँ।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
मन भ्रमर सा है तुम्हारा और बांवरा है तूँ।
सोच उजली है तुम्हारी और सांवरा है तूँ।
मन मेरा भटकाया तुमने छल किया छलिया
रहोगे,
मेरी जद तुझ तक है मेरा दायरा है तूँ।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी