” सांत्वना “
“सांत्वना ”
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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दर्द सहता हूँ ,व्यथा को झेलता हूँ
कोई आके
सांत्वना
का लेप लगाये
पीठ को
थपथपाए
दुःख दर्द
सब कुछ भूल जाता !
हम नहीं दुःख बाँट सकते
पर यदि
हो भावना हम अश्रुधारा पोछ सकते !
मन यही करता सभी का
कोई उसके पास आये
और उसको उर लगाये !
प्यार के बौछार से
दिल जीत लो
यह पुरानी
परम्परा
को सीख लो !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत