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8 Dec 2024 · 1 min read

साँसें

ये जो आती-जाती साँसें हैं ना
इनका भरोसा मत करना
ये आती हैं
बसती हैं
हमारे जेहन में
पल दो पल
फिर चली जाती हैं
बिना किसी वादे के
पल भर हृदय में रहकर
परखती हैं इसे
फिर दूसरे घर मे जाती हैं
खोलती हैं सारे पोल
दूसरी आत्मा में
अपनी हरकतों के कारण
कभी कभी लौट नहीं पाती
शर्म आती है
साँसें बेशर्म थोड़ी हैं कि
हर बार
बेवफाई कर वापस लौट आएँ।

Language: Hindi
22 Views

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