सही कहा है
सही कहा है
इंसान की अहमियत और रिश्ते की कद्र जिंदगी में
या तो दूरी, या तो वक्त की कमी में समझ आती है
या फिर चले जाने के बाद ज्यादा समझ आती है।
जब तक साथ है आपके पास है आपके पास वक्त है
आप तवज्जो कम देते हो और ये कहते हो ये कहा जाएगा
यही तो है। पर वक्त किसी का नही।है।
वो जब वक्त देता है पूरा मोका देता है और जब वो वक्त नही देता तो मोका भी नही देता है।
जो है वक्त में कद्र करो उसको। अन्यथा वक्त बदलने में वक्त नहीं लगता।
बाद में रोने और एतबार जताने की कोई कीमत और अर्थ नही होता है।
मायने उसके है जब था तब कितना कीमत किया।
वक्त किस रिश्ते किस इंसान की कीमत और कद्र करे, पैसा करियर सब बनाने के साथ साथ वरना ये
मैं वाले हिसाब में अपने दूर दूर होने लगेंगे
जब अपने की जरूरत लगेगी में वाली दुनिया में
तब अकेले में के साथ रह नही पाओगे।