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15 Jul 2016 · 1 min read

सहिष्णु

एक मुक्तक।

कल तक तो इन सबको देखो होती चिंता भारी थी।
बात बात पर जीभ सभी की पैनी छुरी कटारी थी।
आज सहिष्णु चुप बैठे हैं घाटी के हालातों पर।
शायद उस आतंकी से इन सबकी रिश्तेदारी थी।

प्रदीप कुमार

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 261 Views
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