सहादत (भोजपुरी)
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आज एगो धीर वीर फिर से मराईल बा,
लिपटल तिरंगा में सरहद से आईल बा,
बहिनी के राखी के धागा आज टूट गईल
माई तोहरे अँचरा के फूल मुर्झाईल बा।।
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माई के अंखियां में लोर डबडबाईल बा,
बाबूजी के आश के दीयरा बुझाईल बा,
नवकी बहुरिया के मांग आज सुन भईल,
एगो सहादत बिपत केतना लेआईल बा।।
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©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
बिहार
८४५४५५