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7 Mar 2018 · 1 min read

सहादत (भोजपुरी)

***************
आज एगो धीर वीर फिर से मराईल बा,
लिपटल तिरंगा में सरहद से आईल बा,
बहिनी के राखी के धागा आज टूट गईल
माई तोहरे अँचरा के फूल मुर्झाईल बा।।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
माई के अंखियां में लोर डबडबाईल बा,
बाबूजी के आश के दीयरा बुझाईल बा,
नवकी बहुरिया के मांग आज सुन भईल,
एगो सहादत बिपत केतना लेआईल बा।।
**************************************

©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
बिहार
८४५४५५

Language: Hindi
471 Views
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