Finding alternative is not as difficult as becoming alterna
मौहब्बत अक्स है तेरा इबादत तुझको करनी है ।
चांद अब हम तेरा दीदार करेगें
शुभ दिन सब मंगल रहे प्रभु का हो वरदान।
आत्म मंथन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
23/113.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
मैं इन्सान हूँ यही तो बस मेरा गुनाह है