* निर्माता तुम राष्ट्र के, शिक्षक तुम्हें प्रणाम*【कुंडलिय
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
माँ : तेरी आंचल में.....!
बेचैन थी लहरें समंदर की अभी तूफ़ान से - मीनाक्षी मासूम
रूप मधुर ऋतुराज का, अंग माधवी - गंध।
*अब न वो दर्द ,न वो दिल ही ,न वो दीवाने रहे*
- घरवालो की गलतियों से घर को छोड़ना पड़ा -
लोग भय से मुक्त हों ज्ञान गंगा युक्त हों अग्रसर होतें रहें
मौत मंजिल है और जिंदगी है सफर
Exercise is not expensive, Medical bills are.
ग़ज़ल __तेरी य़ादें , तेरी बातें , मुझे अच्छी नहीं लगतीं ,
जग में सबसे प्यारा है ये,अपना हिंदुस्तान
‘तेवरी’ अपना काव्यशास्त्र स्वयं रच रही है +डॉ. कृष्णावतार ‘करुण’
A Departed Soul Can Never Come Again