सवालो के जवाब
समझ नही आता कभी कभी मुझे कि आख़िर क्यों कुछ सवाल पुराने जो थे कल के आज वर्तमान में फिर उठ खडे होते हैं जबकि आप जी चुके हो उन्हें भूत में अपने जीवन की सारी गणित लगाकर उनका हिसाब किताब आप भूत में कर आये हो और उसके हिस्से का दुख दर्द तकलीफ परेशानी आप जी चुके हो भूत में ही फिर उन्ही बातो सवालो से फिरसे सामना करने से वही बीती बातें वही दुख तकलीफ दर्द उसी तीव्रता का क्यों महसूस होने लगता हैं
वह सवाल भूत में अपना जवाब आपको खुद देकर गए थे,और आप चुनाव कर चुके थे कि अब उन सवालों के साथ आप नही जियेंगे क्योंकि उन सवालों ने अपना जवाब स्वयं देते हुए कहा था कि उनके जवाब में आपका नाम कही पर नही हैं, तो फिर आखिर क्यों फिर वापसी कर रहे हैं वो सवाल फिरसे वही मुस्कुराहट अपने होंठों पर लिये और आपसे जवाब की गुहार लगाते हुये, जबकि अंत मे वह स्वयं वही पुराने जवाब देकर फिरसे चले जाएंगे ।तो यह सवाल जवाब की पुनरावृत्ति आखिर कब तक?