सल्फास
हर नज्म यूहीँ दिल के, अहसास सी होती है।
कुछ रंग मोहब्बत के, सल्फास सी होती है।।
जीने के वजह कोई, मरने की वजह कोई।
कुछ सांस से होते है, कुछ फ़ांस सी होती है।।
कोई छोड़ के जिद आये, कोई तोड़ के दिल जाए।
कोई हाथ रहे मलते, की तोहमत न मिल जाए।।
ख्वाहिश वो कोई सा हो, अरदास सी होती है।
कुछ रंग मोहब्बत के, सल्फास सी होती है।।
हर ज़ख्म ज़िगर के तो, दिखते न दिखाने से।
चाहे रोग प्रेम ही हो, वो छुपते न छुपाने से।।
हर दर्द जमाने का, कुछ खाश सी होती है।
कुछ रंग मोहब्बत के, सल्फास सी होती है।।
उपयोग वो कैसे हो, जानना ज्ञान जरूरी है।
ना भंग हो मर्यादा, ये रखना ध्यान जरुरी है।।
अमृत न ज़हर बन ले, ये विश्वास सी होती है।
कुछ रंग मोहब्बत के, सल्फास सी होती है।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २३/१०/२०१८)