सलाम सलाम, उन शहीदों को सलाम
शीर्षक- सलाम सलाम, उन शहीदों को सलाम(कारगिल युद्ध पर)
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(शेर)- आ गये आँखों में आँसू , याद करके उन सपूतों का बलिदान।
जो वतन की रक्षा के लिए, भूलकर अपने सुख हो गये कुर्बान।।
अमर रहेगी उन शहीदों की कहानी- कुर्बानी, हमेशा हिंदुस्तान में।
जो देश की आन- शान- सम्मान के लिए, दे गये हैं हंसते हुए जान।।
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सलाम सलाम, उन शहीदों को सलाम।
कारगिल युद्ध में हुए, जो सैनिक कुर्बान।।
सलाम सलाम, उन सपूतों को सलाम।
देश की रक्षा में अपनी, जिन्होंने दी जान।।
सलाम सलाम, उन————————।।
जिनके लिए था, यह देश जान अपनी।
आन अपनी और, इज्जत- शान अपनी।।
अपने परिवार से ज्यादा, प्यारा है वतन।
यही सोचकर वतन पे, हुए जो कुर्बान।।
सलाम सलाम, उन————————।।
छोड़कर अपने दुःख वो, लड़े देश के लिए।
ध्वज विजय का युद्ध में, लहराने के लिए।।
मिला दिया मिट्टी में, अपने दुश्मन को।
और बचाने को कश्मीर, जो हुए कुर्बान।।
सलाम सलाम, उन————————-।।
उन शहीदों की कुर्बानी, नहीं बेकार हो।
उन वीर सपूतों का, हमेशा सम्मान हो।।
और करें सलाम, उस माँ को भी हम।
जिसका बेटा हुआ है, वतन पे कुर्बान।।
सलाम सलाम, उन———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)