सर को झुका कर नहीं .सर को उठाकर सोचिये .
सर को झुका कर नहीं .सर को उठाकर सोचिये .
जीवन के गीत ,जीवन में गाकर तो देखिये ‘
तिमिर दूर होगा उजाला दिखेगा ;
मंजिल की तरफ कदम बढाकर तो देखिये ,
बदलनी है तुमको ये निर्जीव आहें ,
बदलनी है तुमको ये कसकती निगाहें .
जमाना तेरे कदमो को चूमेगा आकर
बदलना है तुमको ये गीली निगाहें..
तुम बड़ो शून्य के साथ नील नीलाम्बर देखो
प्रगति पंथ के साथ ,कुछ करने की सोचो
ईश्वर तेरा साथ कभी नहीं छोड़ेगा ;;;;;;;;
बस एक बार अटल वीर बनकर तो देखो……………..