Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Mar 2019 · 1 min read

सरज़मीन-ए-हिन्द पे नापाक कोई है

प्रारम्भिक बोल

ये हिन्द की जमीं है यहाँ नहीं वीरों की कमी है
मौत से हर- रोज हम खेलते यहां काहे ग़मी है
यहाँ दिल की जमीं -जमीं जहां संवेदना जगती
एक -दूजे के दुःख-दर्द से बस आंखों में नमी है।।

ना पाक कर पायेगा ना- पाक इरादे पूरा
हमसे टकराएगा तो हो जाएगा चूरा-पूरा

घर में छुपा रखे अपने उसने भेदिये हमारे
बस खेद है इतना वो भेद- भेड़िये हैं हमारे

दौलत के पीछे जिंदा इंसान को किए मुर्दा
ना ख़ौफ -ख़ुदा इनको करते हैं ज़ुदा- इंसां

ये कैसा ख़ुदा है ये कैसी खुदाई अपनों से जुदाई
अपनों से जुदाई वाह तेरी ख़ुदाई अपनों से जुदाई

नापाक है कोई वो हिन्दू या मुसलमां
जुल्मों-सितम करता इंसां है दुखदाई

ये मुल्क है अपना ना धर्म से बांटो
इंसान हैं हमसब इंसां को ना बांटो

सरज़मीन-ए-हिन्द पे नापाक कोई है
वो हिन्दू या मुसलमां नापाक सोई है

है पाक की क्या औकात वो बद्जात है
जात-पांत-धर्म- नाम से बंटता समाज है

यहां भितरघात करता अपना ही कोई है
उसका कोई जाति-धर्म ना सुकर्म कोई है

छलता हमको वो ही जलता पलपल वो ही
ना ओर कोई है वो ही अपना ही है सो-ही

सरज़मीन-ए-हिन्द पे नापाक कोई है
वो हिन्दू या मुसलमां नापाक सोई है

अभिनन्दन है उनका जां देश हित खोई
वो हिन्दू हो, हो चाहे मुसलमां कोई-कोई

अभिनंदन अभिनन्दन अभिनन्दन है
भारत माता के सच्चे सपूत है वो ही।।

सरज़मीन-ए-हिन्द पे नापाक कोई है
वो हिन्दू या मुसलमां नापाक सोई है।।
मधुप बैरागी

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 323 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
Loading...