सर्वनाम गीत
मैं हूं सर्वनाम ,
सर्व अर्थात सबका नाम ।
मैं संज्ञा के बदले आता हूं ,
इसीलिए सर्वनाम कहलाता हूं ।
मेरे हैं 6 भेद बताओ,
इनमें कौन है सर्वश्रेष्ठ ?
•”पुरुषवाचक सर्वनाम”
मैं हूं पुरुष अर्थात व्यक्ति,
मेरे अंदर है बहुत शक्ति।
मैं अकेला नहीं तीन रूपों में आता हूं,
वक्ता, श्रोता और चुगली करने के काम में भी आता हूं ।।
मैं, तुम और वह , मिलकर धूम मचाते हैं।
हम तीनों ही पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।।
••”निश्चयवाचक सर्वनाम”
मैं हूं निश्चय बिल्कुल फिक्स,
करता नहीं कुछ भी मिक्स ।
दूर हो या पास की चीज,
बताता हूं बिल्कुल सटीक ।
यह, वह, इसे, उसे इन शब्दों से जाना जाता हूं।
इसीलिए तो मैं निश्चयवाचक सर्वनाम कहलाता हूं।।
•••”अनिश्चयवाचक सर्वनाम”
मैं हूं अनिश्चित ,
बनाऊं सबको अपना मीत।
सच्चाई से जब कोई रहे अनजान।
तब मैं आ जाता हूं बनकर मेहमान।।
कोई और कुछ इन दोनों रूपों में मैं आता हूं।
मैं अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाता हूं।।
••••”प्रश्नवाचक सर्वनाम”
मैं हूं प्रश्न अर्थात सवाल ,
हर समस्या का हल है मेरे पास ।
जब भी पूछना हो किसी व्यक्ति या वस्तु के विषय में ।
कौन, क्या, कहां, किस- शब्द बनकर आ जाऊं मैं लफ्जों में।।
मेरे बिना चले ना किसी का काम ।
मैं हूं प्रश्नवाचक सर्वनाम।।
•••••”निजवाचक सर्वनाम”
मैं हूं आईना ,
लेकिन करता नहीं किसी का सामना।
खुद से प्यार करता हूं ,
अपने आप पर ही मरता हूं ।
स्वयं की बड़ाई करता हूं ,
किसी की मदद नहीं लेता हूं ।
मुझे ना किसी और से है काम ।
मैं हूं निजवाचक सर्वनाम ।।
••••••”संबंधवाचक सर्वनाम”
मैं हूं संबंध अर्थात रिश्ता ,
वाक्य के लिए मैं हूं फरिश्ता ।
मैं तो रिश्ते बनाता हूं ,
अकेला कभी प्रयोग में नहीं आता हूं।
वाक्य का मुझसे रिश्ता अनोखा,
क्योंकि मेरे शब्दों ने हीं उन्हें जोड़ रखा।।
मेरी सफलता है अभिराम ।
मैं हूं संबंधवाचक सर्वनाम।।