सर्वनाम के भेद
संज्ञा के बदले में आता
भाषा में नव रंग जमाता।
वाक्य सृजन में आए काम
छः भेद और ग्यारह सर्वनाम।
मैं, हम, आप, यह, ये
तु, तुम, वह, और वे ।
ये शब्द पुरुष के नाम के बदले
प्रयोग किए हैं जाते।
जो पुरुषवाचक सर्वनाम हैं कहलाते!
निकट की वस्तु का यह बोधक
दूर की वस्तु का वह शोधक
निश्चित रूप से करके इंगित देते संकेत इशारा
निश्चित और संकेत वाचक सर्वनाम यह न्यारा।
‘कोई है सजीव संकेतक
कुछ है पदार्थ का भेदक ।
दोनों शब्द ही प्राणी- पदार्थ की अनिश्चिता दर्शाए ।
इसीलिए तो कोई और कुछ अनिश्चित सर्वनाम कहलाए।
‘क्या’ शब्द जड़ता को दर्शाता
‘कौन’ शब्द चेतना का ध्याता
ये दोनों हैं प्रश्न निर्माता, खोलें जिज्ञासा का खाता।
इसीलिए तो भेद यह प्रश्नवाचक सर्वनाम कहलाता।
जो-सो दर्शाता ताल-मेल को
संबंध दर्शाती शब्दों की रेल को।
खेलो तुम सर्वनाम खेल को जो संबंध-बोधक कहलाए ।
अपना-अपनी निजता का जब आप बोध कराए।
समझो निजवाचक सर्वनाम को ही यह वाक्य में दर्शाए।
नीलम शर्मा ✍️