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25 Sep 2024 · 1 min read

सर्द पूनम का मुझे सपना सुहाना याद है…!

सर्द पूनम का मुझे सपना सुहाना याद है,
माँ.., कहानी और लोरी, सब सुनाना याद है।

रोज आते हैं फरिश्ते, नींद के आगोश में,
इस तरह कहना तुम्हारा, था बहाना याद है।

गोद तेरी थी यकीनन, स्वर्ग से कुछ कम नहीं,
चाह कर ना भूल पाया, वो झुलाना याद है।

बेरहम थी रात जालिम, मौत की मंशा लिए,
पास आकर माँ को’ छीना, दूर जाना याद है।

माँ बिना क्या हाल होता, आ के’ मुझसे पूछ लो,
मिल रही दुत्कार देखो, सर झुकाना याद है।

जो थे’ अपने औ पराये, सब किनारा कर रहे,
छोड़ कर रोता.. गली में, मुँह छुपाना याद है।

थाम उँगली चल पड़ा था, मैं मसीहा मान कर,
दर्द नफरत का दिया हर, पल पुराना याद है।

आँख बंजर हो चुकी है, अश्क खूं के बह रहे,
रोशनी के नाम पर खुद को जलाना याद है।

हाथ जख्मी हो गये दो, वक्त रोटी के लिये
अजनबी इस भीड़ मे बस, तिलमिलाना याद है।

रह गया क्या देखना अब, इस जमाने में भला,
आँख में आंसू छुपाकर, मुस्कुराना याद है।

था वो’ प्यारा सा घरौंदा, इस “परिंदे” का कभी,
आग जिसने थी लगायी, हर घराना याद है।।

पंकज शर्मा “परिंदा”

Language: Hindi
49 Views

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