सर्दी पर दोहे
1
मौसम ने करवट बदल, धरा नया है रूप
कोहरे की चादर तनी, हुई नदारद धूप
2
सिहरी सिहरी भोर है, ठिठुरन वाली रात
बरछी जैसी है हवा, काँप रहे हैं गात
3
तापमान कम हो गया, उस पर ये बरसात
थिरक रहे सब अंग हैं, सर्दी की कर बात
4
नाक गाल सब लाल हैं, मुँह से निकले भाप
तन हैं कपड़ों से लदे,हाथ रहे हैं ताप
5
सूरज डरकर छिप गए, कोहरे का है जाल
सर्दी के आतंक ने, किया हाल बेहाल
6
हुआ पहाड़ों पर शुरू, जबसे है हिमपात
मैदानों में हो गई, सर्दी की शुरुआत
7
बैठे हुए लिहाफ में, सोच रहा दिल हाय
काश तुम्हारे हाथ की, मिल जाए इक चाय
डॉ अर्चना गुप्ता
24.12.2024