सरस्वती वंदना
माँ शारदे माँ शारदे
जय तेरी हो माँ शारदे…..
श्वेतवसना कमलासना
हंसवाहिनी वीणावादिनी
ग्यान की ज्येत जगा दे
जय तेरी हो……..
सरगम के सुर सजाकर
वीणा की तान सुनाकर
प्रेम की रसधार बहा दे
जय तेरी हो……
मैं हूँ तेरी दासी माता
तेरे बिन ना कुछ भी भाता
बस अपने चरणों की धूल बना दे
जय तेरी हो…..
मान न हो अबिमान न हो
भकि्त से पैदा ग्यान भी हो
बस ऐसी सुरति लगा दे
जय तेरी हो……..
डॉ मीनाक्शी कौशिक रोहतक