सरस्वती वंदना
मां शारदे के चरणों में एक गीत अर्पित कर रहा हूं।
माँ तेरे चरणों में आया, हार दो या तार दो।
वंदना के सुर सजाया, हार दो या तार दो।।
है लगा दरबार माँ आकर विराजो शारदे।
शीश पर आशीष देकर कवि कुलों को प्यार दे।।
कंठ में आओ उतर माँ मेरे सुरों को धार दो।
गीत तेरे गुनगुनाया, हार दो या तार दो।।
ज्ञान की विज्ञान की वरदान की दाता हो तुम।
भक्ति की अभिव्यक्ति की स्वरशक्ति की माता हो तुम।।
दूर कर अज्ञान मन का ज्ञान का विस्तार दो।
चरण रज माथे लगाया हार दो या तार दो।।
भक्ति का वरदान दे अपने चरण में प्रीति दे।
ज्ञान भर अभिमान हर कुछ सीखने की रीति दे।
शांति सुख समृद्धि दे माँ नवल भाव विचार दो।
सुमन श्रद्धा के चढ़ाया हार दो या तार दो।।
माँ तेरे चरणों में आया, हार दो या तार दो।।