सरस्वती वंदना
हंस पे सवार माता
ज्ञान का प्रसार दे माँ
गले में स्वर वार माँ
श्रोताओं में वाह दे।।
मन में उमंग जागे
संग में तरंग जागे
मन मोर बन नाचे
ऐसा माँ सुभाव दे।।
वाचन में बात रहे
गायन में साथ रहे
संचालन में आज माँ
जोर का प्रभाव दे।।
वीणापाणी वीणा की
देवी हे माता शारदे
वाणी में वीणा की तान
तान में प्रवाह दे।