सरस्वती वंदना | अभिषेक कुमार अम्बर
हे माता मेरी शारदे
तू भव से उतार दे।
बुद्धि को विस्तार दे
ज्ञान का भंडार दे।
हे माता मेरी शारदे।
दूर सब अँधेरे हो
ज्ञान के सवेरे हो।
सुबुद्धि दे ज्ञान दे
सपनों को उड़ान दे।
हे माता मेरी शारदे।
मिटे जुलम की दास्ताँ
न कोई पाप हो यहाँ।
हर तरफ प्यार हो
न कोई तकरार हो।
हे माता मेरी शारदे।
©अभिषेक कुमार अम्बर