सरलता
सीधे सुन्दर वृक्ष ही , सहते रहे कुठार ।
टेढ़े – मेढ़े वृक्ष पर , कौन करे प्रहार ।।
***
सीधे जन की नियति है , सह जाएं आघात ।
कुटिल जनों की प्रकृति , करें सदा प्रतिघात ।।
सीधे सुन्दर वृक्ष ही , सहते रहे कुठार ।
टेढ़े – मेढ़े वृक्ष पर , कौन करे प्रहार ।।
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सीधे जन की नियति है , सह जाएं आघात ।
कुटिल जनों की प्रकृति , करें सदा प्रतिघात ।।