सरयू
अयोध्या के साथ सरयू नदी का गहरा सम्बन्ध है । अयोध्या इसी के किनारे बसा है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में इसे शारदा भी कहा जाता है। इसे सरजू भी कहते हैं और देविका व रामप्रिया भी। जब लोग गोरखपुर, बस्ती के रास्ते अयोध्या आते हैं, तो पहले यही नदी उनके स्वागत में बहती मिलती है। अयोध्या में इसके तट पर 19 घाट हैं, जिनका नामकरण मुख्यतः रामायण के प्रमुख चरित्रों के नाम पर किया गया है, यथा- कौशिल्या घाट, कैकेयी घाट, लक्ष्मण घाट, गोप्रतार घाट, यमस्थला घाट/ जमथरा, चक्रतीर्थ घाट, प्रह्लाद घाट, सुमित्रा घाट, राज घाट, ऋणमोचन घाट, पापमोचन घाट, गोला घाट, विल्वहरि घाट, चन्द्रहरि घाट, नागेश्वरनाथ घाट, वासुदेव घाट, जानकी घाट, राम घाट और स्वर्गद्वार घाट। तीर्थ यात्री इन घाटों पर स्नान कर अपने को धन्य समझते हैं। अब इसका महत्व और भी बढ़ गया है। सरयू के तट पर संध्या आरती आगंतुकों को मोहती है ।
इसका उद्गम उत्तराखण्ड का बागेश्वर जिला है । यह बागेश्वर से निकलकर शारदा नदी में मिल जाती है, जो काली नदी भी कहलाती है । शारदा नदी फिर घाघरा नदी में मिल जाती है । इसी के निचले भाग को सरयू नदी के नाम जाना जाता है। सरयू के तट पर अयोध्या का ऐतिहासिक व तीर्थ नगर बसा हुआ है। सरयू अयोध्या होते हुए आगे बढ़ती है तथा बलिया और छपरा के मध्य इसका विलय गंगा नदी में हो जाता है और इस प्रकार सरयू बिहार में प्रवेश कर जाती है ।
सरयू का प्रवाह तंत्र विस्तारित है। राप्ती इसकी प्रमुख सहायक नदी है, जो इससे देवरिया जिले में बरहज में मिल जाती है। चर्चित प्रमुख नगर गोरखपुर राप्ती नदी के तट पर स्थित है। राप्ती तंत्र की कुछ प्रमुख नदियाँ आमी, जाह्नवी आदि हैं ।
सरयू नदी को वैदिक कालीन नदी माना गया है, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है और अन्य ग्रंथों में भी । रामायण में रेखांकित है कि सरयू अयोध्या से होकर बहती है, जिसे दशरथ की राजधानी और राम की जन्भूमि माना जाता है। वाल्मीकि रामायण के कई प्रसंगों में इस नदी का उल्लेख आया है। रामायण के बाल काण्ड में ऋषि विश्वामित्र के साथ शिक्षा के लिए जाते हुए श्रीराम द्वारा इसी नदी द्वारा अयोध्या से इसके गंगा के संगम तक नाव से यात्रा करते हुए जाने का वर्णन मिलता है। कालिदास के महाकाव्य रघुवंशम् में भी इस नदी का उल्लेख है। रामचरित मानस में तुलसीदास ने इस नदी का गुणगान किया है। बौद्ध ग्रंथों में यह नदी ‘सरभ’ के नाम से उल्लिखित है। ऐसी मान्यता है कि राम अयोध्या के निवासियों के साथ इस नदी से होकर वैकुंठ लोक गए और बाद में स्वर्ग में पहुंच गए। यह भी कथा है कि लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला ने सरयू नदी में डूबकर जलसमाधि ले ली थी और ऐसा माना जाता है कि उनकी आत्मा को राम के चरणों में मोक्ष प्राप्त हुआ था।