सरदार भगत सिंह जी
आज़ सरदार जो सूली पे न चढ़ा होता
देखिये हाल न फिर देश का बदला होता
आज़ कुर्बानी सुखदेव न दिया होता
राज अंग्रेजों का आज़ भी चलता होता
आज़ सरदार जो सूली पे न चढ़ा होता
देखिये हाल न फिर देश का बदला होता
आज़ कुर्बानी सुखदेव न दिया होता
राज अंग्रेजों का आज़ भी चलता होता