सरकारी और प्राइवेट
एक दिन की बात है की एक छोटी सी शहर में सरकारी नौकरी और प्राइवेट नौकरी की मुलाकात हो गई। दोनों ने हाथ मिलाए और हालचाल होने लगी। इसी क्रम में दोनों ने आपस में अपनी खुशी और समस्या शेयर करने लगे। बात का क्रम चल ही रहा था तभी प्राइवेट नौकरी ने सरकारी नौकरी से कहा, अरे यार तुम लोगों को बहुत मस्ती है। जितना तुम लोगों को मस्ती है उतना हम लोग को नहीं है।
अरे यार क्या नसीब है? हम दोनों ने एक साथ पढ़े, एक साथ परीक्षा दिए, जैसा तुम परीक्षा दिया वैसे ही हम भी परीक्षा दिए। पर तुम सरकारी हो गए, हम प्राइवेट हो गए। तभी सरकारी नौकरी ने कहा हां यह तो बात सही है कि हम सरकारी हो गए, तुम प्राइवेट। हम लोग को मस्ती है। ऑफिस में लेट से भी जाए तो कोई दिक्कत नहीं और मन मौजी काम भी हम लोग करते हैं। उपरवार भी कमाई हो जाता है।
तभी प्राइवेट नौकरी ने कहा हां सरकारी भाई आप लोग को तो मस्ती है, उपरवार कमाई भी होता है। नियमित ऑफिस भी नहीं जाते हैं फिर भी कोई दिक्कत नहीं है। पर हम लोग के साथ ऐसा नहीं है। पर एक तो बात है सरकारी भाई, हम लोग प्राइवेट हैं। जब हम लोग का परीक्षा होता है तो हम लोगों में सोर्स और पैरवी का कोई चारा नहीं चलता है और नहीं कोई सोच भी सकता है। पर आप लोग में परीक्षा देने के बाद से हैं आदमी यह सोचने लगता है कि कैसे हम पैरवी कराएं?
आप लोग भी पैरवी करा कर के नौकरी प्राप्त करते हैं इसीलिए आप लोगों के साथ हमेशा पैरवी मिलता रहता है जैसे आप लोग ऑफिस में काम करते हैं तो कोई ना कोई पैरवी लेकर आ जाता है तो आप लोगों को उसमें उपरवार कमाई हो जाता है। पर हम लोग जहां काम करते हैं उसमें किसी प्रकार की कोई पैरवी नहीं होता है और नहीं किसी प्रकार की उपरवार कमाई होती है क्योंकि हम लोग के अंदर ट्रेनिंग के समय में ही यह दिमाग में डाल दिया जाता है कि हम एक ईमानदार कर्मचारी हैं और जहां भी रहेंगे ईमानदारी से काम करेंगे, वरना नौकरी से निष्कासित कर दिए जाएंगे। तो इस प्रकार की एक डर बना रहता है और हम लोग ऐसा काम नहीं कर पाते हैं।
पर आप लोग के ट्रेनिंग में तो कुछ नहीं होता है। ट्रेनिंग के समय आप जाए या ना जाए, ध्यान से बातों को सुने या ना सुने, कोई दिक्कत नहीं। आप नियमित रूप से काम करें या ना करें, कोई दिक्कत नहीं। आप जिस ऑफिस में बैठते हैं उसी ऑफिस में कहीं कोने पर पान खाकर थूक दे, कहीं कोने में कूड़ा – कचरा पड़ा रहे फिर भी कोई दिक्कत नहीं क्योंकि आप सरकारी हैं लेकिन ऐसा हम लोगों में नहीं होता है।
हम लोग कम वेतन वाले हैं सुसज्जित और अनुशासन में रहते हैं। नियमित रूप से ऑफिस में जाने वाले हैं। ऑफिस में जहां काम करते हैं वहां ऑफिस साफ-सुथरा रहता है। वहां कोई किसी प्रकार की गुटखा पान नहीं खा सकता है, चाहे वह कर्मचारी हो या ग्राहक, जहां – तहां दुख भी नहीं सकता है। क्योंकि हम लोग प्राइवेट हैं। समय से ऑफिस जाना पड़ता है। ऑफिस का काम प्रत्येक दिन पूरा करना होता है और कोई ग्राहक हमारे काउंटर से वापस न चला जाए जिसको लेकर हम लोग सतर्कता और तेजी से काम करते हैं।
आप लोगों में तो किसी प्रकार की भेस – भूषा भी नहीं होता है लेकिन हम लोगों में चाहे छोटा कर्मचारी हो या बड़ा कर्मचारी हो सबके लिए भेस – भूषा होता है और उसी भेस – भूषा में ऑफिस आना होता है।
यही तो आप में और हम में अंतर हैं। तभी सरकारी नौकरी ने कहा हां यह तो बात सही कह रहे हैं आप। इतने कहने के बाद दोनों ने फिर से हाथ मिलाए और अपने – अपने घर चल दिए।
लेखक – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳