Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Mar 2022 · 3 min read

सयुक्त राष्ट्र संघ का खोता हुआ अस्तित्व

विश्व मे शांति, सुरक्षा और समृद्धि की परिकल्पना को लेकर, द्वितीय विश्व यूद्ध मे जन – धन की अपूर्व क्षति के तादोपारांत विश्व की विजित अग्रणी देशो ने 24 अक्टूबर 1945 को सयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की l स्थापना के साथ ही सयुक्त राष्ट्र मे विश्व मे अपनी विशिष्ट छवि रखने वाले देशो ने सयुक्त राष्ट्र संघ मे भी अपनी शक्ति स्थापित करने के लिए वीटो पावर नामक एक हथियार बनाया जो सिर्फ विश्व के पांच देशो के पास अर्थात सयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन को दिया गया जिसका अर्थ यह हैँ की यदि किसी भी प्रस्ताव मे इन देशो मे किसी एक के द्वारा वीटो का प्रयोग कर दिया जाये तो वह प्रस्ताव पास नहीं होगा l यद्यपि जिस समय यह प्रक्रिया आरम्भ की गयी उस समय यह विचारा गया की इसका प्रयोग शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए किया जाएगा किन्तु अग्रणी देशो ने इसका प्रयोग अपने स्वार्थ साधने मे किया l
द्वितीय विश्व युद्ध उपरांत सयुक्त राष्ट्र अमेरिका और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ सोवियत रूस के बीच हुए शीत-युद्ध (कोल्ड वार ), वियतनाम युद्ध व इराक मे अमेरिका द्वारा युद्ध, वर्तमान मे रूस व यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध मे सयुक्त राष्ट्र संघ की बौनी शक्ति देखी जा सकती हैँ l वीटो शक्ति का प्रयोग इन देशो द्वारा अपने मित्र देशो को अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए छोटे – छोटे मदभेदो मे भी किया जाने लगा हैँ जैसे – पाकिस्तानी आतंकवादियों को बचाने के चीन द्वारा भारत के खिलाफ लाये गए अक्सर प्रयोग करना व चीन द्वारा उइगर मुस्लिमो पर हो रहे अत्याचार से खुद को बचाने के लिए आदि l
स्वार्थसिद्धता ज़ब अपनी सीमा से बढ़कर ज्यादा हो जाती हैँ तो बनाए गए नियम व कानूनो का अस्तित्व कठघरे मे आ जाता हैँ l सयुक्त राष्ट्र संघ प्रमुख एन्टीरिओ गुटरेट्स द्वारा रूस -यूक्रेन युद्ध मे सिर्फ वक्तव्य और नसीहत दिए जाने के सिवा कोई कार्यवाही ना कर पाना l
भविष्य की प्रज्जवलता को देखते हुए सयुक्त राष्ट्र संघ मे यदि सुधार नहीं किया गया तो भविष्य मे उन्मादी शक्तियों द्वारा हथियारों के इन जखीरो से धरती पर जीवन खत्म होने की सम्भावना को नाकारा नहीं जा सकता हैँ ll
वर्तमान मे हथियारों का शक्ति प्रदर्शन कुछ इस तरह किया जाता हैँ जैसे की दीपावली मे पटाके फोड़ना l अतः विश्व के इस खतरे की सम्भावना को देखते हुए सयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्था को लोकतान्त्रिक और मजबूत करने की जरुरत हैँ l जिसके लिए वीटो की शक्ति को खत्म करना प्रमुख आवश्यकता है और यदि वीटो शक्ति रहे तो इसका विस्तार करने की आवश्यकता हैँ क्योंकि साउथ अमेरिका, अफ्रीका महाद्वीप को भी प्रतिनिधित्व देने की आवश्यकता हैँ अथवा विश्व के सभी सयुक्त राष्ट्र प्रतिभागी देशो को लोकतान्त्रिक तरीके से वोटिंग राइट देकर किसी भी मसले मे बहुमत के आधार पर फैसला लेने की प्रथा आरम्भ करनी चाइए l सयुक्त राष्ट्र संघ को स्वंत्रत काम करने उनके पदाधिकारीयों को स्वंतत्रता देनी चाइए l पदाधिकारीयों का चुनाव लोकतान्त्रिक तरीके से होना चाइए l धन का प्रतिभाग सभी देशो से लोकतान्त्रिक तरीके से लेना चाये ताकि अमीर देशो के प्रभुत्व कम रहे और जो देश निर्धन हैँ वे मानवीय सहायता या अन्य निर्गत तरीके से मदद करें l गुटबंदी के खिलाफ कार्यवाही करने की क्षमता होनी चाइए l साथ ही साथ विश्व मे शांति, सुरक्षा और समृद्धि को प्रेरित करना चाइए l
भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए सयुक्त राष्ट्र संघ का मजबूत कर लोकतान्त्रिक होना अति आवश्यक हैँ l क्योंकि विश्व वर्तमान मे हथियारों के जखीरो और आपसी वैमनश्यता के जिस दौर से गुज़र रहा है तथा जहाँ पर प्रेम का मतलब स्वार्थ सिद्धि, विकास का मतलब प्रकृति का दोहन और शक्ति का मतलब परमाणु व जैविक हथियारों का जखीरा हो वहा पर आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए सयुक्त राष्ट्र का मजबूत व लोकतान्त्रिक होना अति आवश्यक हैँ l
देव की कलम से

Language: Hindi
Tag: लेख
131 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
* शरारा *
* शरारा *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"सियासत"
Dr. Kishan tandon kranti
12 fail ..👇
12 fail ..👇
Shubham Pandey (S P)
!! एक चिरईया‌ !!
!! एक चिरईया‌ !!
Chunnu Lal Gupta
*पुण्य कमाए तब मिले, पावन पिता महान (कुंडलिया)*
*पुण्य कमाए तब मिले, पावन पिता महान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आँख मिचौली जिंदगी,
आँख मिचौली जिंदगी,
sushil sarna
समय
समय
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दौर कागजी था पर देर तक खतों में जज्बात महफूज रहते थे, आज उम्
दौर कागजी था पर देर तक खतों में जज्बात महफूज रहते थे, आज उम्
Radhakishan R. Mundhra
पाप बढ़ा वसुधा पर भीषण, हस्त कृपाण  कटार  धरो माँ।
पाप बढ़ा वसुधा पर भीषण, हस्त कृपाण कटार धरो माँ।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
जरूरत से ज्यादा
जरूरत से ज्यादा
Ragini Kumari
उद्दंडता और उच्छृंखलता
उद्दंडता और उच्छृंखलता
*Author प्रणय प्रभात*
3268.*पूर्णिका*
3268.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
नारी
नारी
Dr Parveen Thakur
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
पूर्वार्थ
हे माँ अम्बे रानी शेरावाली
हे माँ अम्बे रानी शेरावाली
Basant Bhagawan Roy
प्रत्यक्षतः दैनिक जीवन मे  मित्रता क दीवार केँ ढाहल जा सकैत
प्रत्यक्षतः दैनिक जीवन मे मित्रता क दीवार केँ ढाहल जा सकैत
DrLakshman Jha Parimal
हम वह मिले तो हाथ मिलाया
हम वह मिले तो हाथ मिलाया
gurudeenverma198
"" मामेकं शरणं व्रज ""
सुनीलानंद महंत
बाबा साहब अंबेडकर का अधूरा न्याय
बाबा साहब अंबेडकर का अधूरा न्याय
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
Ranjeet kumar patre
अरुणोदय
अरुणोदय
Manju Singh
सबके दामन दाग है, कौन यहाँ बेदाग ?
सबके दामन दाग है, कौन यहाँ बेदाग ?
डॉ.सीमा अग्रवाल
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
जीवन से पलायन का
जीवन से पलायन का
Dr fauzia Naseem shad
जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य
जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मां का हुआ आगमन नव पल्लव से हुआ श्रृंगार
मां का हुआ आगमन नव पल्लव से हुआ श्रृंगार
Charu Mitra
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
Paras Nath Jha
কুয়াশার কাছে শিখেছি
কুয়াশার কাছে শিখেছি
Sakhawat Jisan
Loading...