सम्मान
दोस्तों, कहते हैं ना कि इज्जत (Respect) मांगने से नहीं मिलती, यह बहुत मंहगी चीज है। जो सिर्फ कमायी जाती है।
अक्सर हमें ऐसा महसूस होता है कि हमारे कार्य क्षेत्र में हमारे सहभागी या जूनियर हमारी उतनी इज्जत नहीं करते, जितना हम उनसे उम्मीद करते हैं। हमारी बात को ज्यादा तबज्जो नहीं देते….??
या जैसी गुणवत्ता या उत्पादकता (Productivity) की हम उनसे सोच रखते हैं उतनी हमें नहीं मिल पाती,
जिस तरीके के सम्मान की अपेक्षा
हम उन लोगों से रखते हैं नहीं मिलता….।।
तो दोस्तों अपने दिल की अदालत में जरूर जायें, और अपना आत्म मूल्यांकन करें कि क्या आप उन सभी से जबरदस्ती अपना सम्मान पाना चाहते हैं, या सच में चाहते हैं कि वो लोग आपको दिल से सम्मान दें।
तो दोस्तों, अपने स्वभाव को परखिए कि क्या आप उन लोगों को सिर्फ एक सीनियर के नाते इज्जत पाना
चाहते हैं या सच में कुछ ऐसे काम करते हैं जिससे वो लोग आपको इज्जत दें?
मेरा अपना अनुभव कहता है कि जब आप अपने जूनियर या सहभागी साथियों की उनके कार्यो में मद़द करते हैं। उनको हमेशा आगे बढाने के लिए प्रेरित करते हैं, और उनकी प्रोफेशनल लाईफ में एक नयी दिशा प्रदान करते हैं, आप उनको प्रोफेशनल एप्रोच के साथ साथ पर्सनल मामले में भी उत्तम सुझाव और राय देतें हैं, फिर चाहे उसके चलते आपको उन्हें डांट फटकार भी लगानी पढती हो, उनकी तुच्छ गलतियों के लिए। पर आप अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करते हों अपने साथियों को विकसित करने के लिए, तो यकीन मेरा मानिए..।
सच में बेशक आप उनकी नजर में एक सख्त अफसर या सीनियर हो सकते होगें पर उन लोगों के दिल में आप एक खास इज्जत बना पायेंगे, जो आपको आपका पद़, रूतबा और कुर्सी न दिला सके। वो लोग आपको एक खास इज्जत प्रदान करेंगे, जो आपको आपके पद़ और रूतबे से प्राप्त नहीं होगी। ऐसा नहीं कि आप ये सम्मान सिर्फ अपने कार्य क्षेत्र में पायें, यह सब आपको अपनी फैमिली में भी मिलेगा।