” सम्भोग “
क्या पछताएंगे वो लोग ,
जिन्हें पता ही नहीं क्या है ये प्रेम रोग ।
उद्देश्य के पीछे ही भागते हैं कुछ लोग ,
प्यार के नाम पर करते हैं सिर्फ सम्भोग ।
हर बार शर्म से रूक जाते हैं ये कदम ,
जब निकलेंगे घर से तो क्या कहेंगे लोग ,
बनकर एक नास्तिक रोग ।
कुछ को तो है सिर्फ जिस्म का लोभ ,
देख बच्चियों के साथ दुष्कर्म कांप जाता है ये रोम – रोम ।
धकेल मासूमियत को रात के अंधेरे में ,
ना टूटता है वो घिनौना सपना ,
ना होती है कभी उसकी भोर ,
कुछ की नियत में है सिर्फ सम्भोग ।
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️