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16 Aug 2024 · 1 min read

सम्बन्धों की भीड़ में, अर्थ बना पहचान ।

सम्बन्धों की भीड़ में, अर्थ बना पहचान ।
स्वार्थ तुला में तोलता, रिश्तों को इंसान ।
आडम्बर है हर तरफ, तार- तार अपनत्व –
हृदय कुंड में विष भरा, अधरों पर मुस्कान ।

सुशील सरना /

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