सम्बन्धों की भीड़ में, अर्थ बना पहचान ।
सम्बन्धों की भीड़ में, अर्थ बना पहचान ।
स्वार्थ तुला में तोलता, रिश्तों को इंसान ।
आडम्बर है हर तरफ, तार- तार अपनत्व –
हृदय कुंड में विष भरा, अधरों पर मुस्कान ।
सुशील सरना /
सम्बन्धों की भीड़ में, अर्थ बना पहचान ।
स्वार्थ तुला में तोलता, रिश्तों को इंसान ।
आडम्बर है हर तरफ, तार- तार अपनत्व –
हृदय कुंड में विष भरा, अधरों पर मुस्कान ।
सुशील सरना /