समीक्षा- पटल समीक्षा 273वीं दिनांक-19-7-2021
233 -आज की समीक्षा
समीक्षक – राजीव नामदेव राना लिधौरी’
दिन- सोमवार *दिनांक 19-7-2021
*बिषय- “तलैया” (बुंदेली दोहा लेखन)
आज पटल पै तलैया बिषय पै दोहा लेखन कार्यशाला हती।आज भौत नोने दोहा रचे गये।जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नये बिषय पै नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो। गजब के नोने दोहा रचे बधाई।
आज सबसें पैला आज हम श्री जयहिंंद सिंह जयहिंंद दाऊ को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं अरु बधाई देत है।
1 सबसे पैला उन ई की पोस्ट पटल पे डरी हती दाऊ ने श्रीकृष्ण अरु गोपियों के जलविहार कौ भौत नौनो चित्र दोहन में खैचों है। बधाई दाऊऋ
जाँय तलैया गोपियाँ, जल में करन बिहार।
पलक झपकतन धुवत है,नैनन कजरा धार।।
सुनौ गौर सें ओ सखी,खो ना दैयो धीर।
कान्हा संगै गोपियाँ ,मिलें तलैया तीर।।
2 श्री एस आर सरल जू टीकमगढ़ से कै रय कै अबै लो पानी रई बरस रओ सबरे ता- तलैया सूक गये है। बढ़िया दोहे रचे है बधाई।
तला तलैया तरसते,तरसे ताक लगाय।
वर्षा बिन कैसे सबइ,अपनी,प्यास बुझाय।।
ताल तलैयाँ पुखइयाँ,सूके नदियाँ कूप।
बर्षा बिन फीके लगै,सबके उजड़े रुप।।
3 श्री एस आर तिवारी, दद्दा टीकमगढ़ लिखरय कै अषाढ़ में भी बिकट गर्मी पड़ रही प्रान निकरे जारय है। अच्छे दोहे लिखे है बधाई।
दद्दा गरमी है बिकट,कडे जात है प्रान।
ताल तलैया रो रये,कालो करें बखान।।
बरसत आग अषाढ़ में, रो रऔ हर इंसान।
ताल तलैयां देखकें,सुमर रऔ भगवान।।
4 श्री अशोक पटसारिया नादान जू तलैया की खूबसूरती को बखान करत भये नोनौ लिख रय। बधाई
ताल तलइयाँ हैं जितै,नोंनौ लगवे गांव।
मंदिर बनों बदान पै, जा रय उपनय पांव।।
पतरी मिलै पुरैन की,और कमल कौ फूल।
खाव सिंगारे प्रेम सें,हँसवे लगौ गदूल।।
5 डी.पी.शुक्ल ‘सरस’ जी ने राधा किसन पै भौत नौने दोहा रच बधाई।
गाँव किनारे जल भरो, देख तलैया छोर!!
बरगद बाकी छाँह मे,! खेलत नंद किशोर!!
राधा चली प्रेमइंँ बस,देखत कुँजन गैल!!
मिली तलैया बैठकें, मिटाउत मन कौ मैल!!
6 श्री रामानन्द पाठक नन्द, नैगुवा से ताल तलैयन की उपयोगिता कों दोहध में बता रय है बधाई
उठत भुन्सरा रोज सब,पोंच तलइया जांय।
सपर खोर फारिग भये,घरै लौट कें आंय।।
ताल तलैया गांव में,आवै सब के काम।
जिउ जानवर चरेऊ,रहत सबै आराम।।
7 श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो कत है कै जल से भरी तलैया जी में कमल के फूला खिले भये हो भौत शोभा देत है। बेहतरीन दोहे महाराज बधाई ।
जल से शोभित ताल हू,और तलैया भाय।
जल बिन इनकी देखिये,शोभा नहि ठहराय।।
ताल तलैया वे भले,जिनमें खिलते फूल।
साफ सफाई भी रहे,जिनके चारों कूल।।
8 श्री प्रदीप खरे,’मंजुल’, टीकमगढ़ से के रय के मनरेगा से नोनी नोनी तलैया गांवन में बन गयी है। बढ़िया दोहे लिखे है मंजुल जी बधाई।
मनरेगा में खुद गईं,तलैयां सबहिं गांव।
घाट सुहानें बन गये,अरु पीपल की छांव।।
निकट तलैया चौतरा,जितै लगे दरवार।
गांव पुरा सबरौ जुरै, सुनबै सब सरकार।।
9 श्री अवधेश तिवारी जू छिंदवाड़ा ने एकई दोहा लिखों पै भौत बढ़िया लिखो। बधाई।
ताल तलैया सूक गए,सूके नदी पहाड़।
कुआँ-बावली सूक गये,बरसो नहीं असाड़।।
10 राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़ लिखते है कै तलैयू में अतिक्रमण करके मिटात जा रय है।
ताल-तलैया खो गये,अतिक्रमण कि चपेट।
कागज में ही बन गये,अफसर भरते पेट।।
तलैया में सपरतते,ढोर,जनी अरु मांस।
अब तो सूखी है डरी,उत ठाडी है कांस।।
11 श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ अनुप्रास से सजे भये नोनै दोहा रचे हैं बधाई।
तरुन तलैया में दिखी,तरुनीं तैरत एक।
सुंदर सुखद सुहावनी ,सुगर सलोनी नेक।।
सरकारी स्वीकृति मिली, बनें तला उर घाट।
खुदी तलैया तनक सी ,हो गव बंदर बाट।।
12 श्री गुलाबसिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़ भरी तलैया को नोनों वरनन दोहन में कर रय है बधाई।
आज तलैया भरीं है ,गये हे मेदरे फूल।
पानी बरसों तान के,मिटें किसान के सूल।।
पैला से बरसा दिवो,जाबे झिन्ना फूट।
ताल तलैया जे भरे,होये फसल अटूट।।
13 डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल से लिखतीं है कै सूकी तलैया में मोडा खेलवे जि रय है। गांव कों नोनो चित्रण किया है बधाई।
ताल तलैयां सुख गई, ना हो रइ बरसात।
मोड़ी मोड़ा खेलबे, उनइ तला में जात।।
मोड़ी मोड़ा भूल गै, ताल तलैया आज।
शहरन में तो देख लो, वाटर फालन जात।।
14 श्री कल्याण दास साहू “पोषक”पृथ्वीपुर ने सूकी तलैया कौ भौत सूक्ष्म वरनन करो है बधाई।
पानी टँगकें रै गयौ , गयी तलैया सूख ।
फटे दरंगा दिख रये , रुखडा़ गय हैं रूख ।।
पपटा से उदरन लगे , ताल-तलैया बीच ।
धूरा उड़ रइ सब जगाँ , जितै मचत ती कीच ।।
15 श्री संजय श्रीवास्तव, मवई१९-७-२१?दिल्ली से प्रार्थना कर रय कै तला कुंआ में पीनी भरो रय। बहुत बढ़िया दोहे है बधाई।
खेतन हरियाली हँसे,जल लै तला हिलोर।
रतनारो अंबर सुखद,लगत मनोहर भोर।।
आँखन में पानी रबे,कुँआ-तलन में नीर।
हाँतन में धन-धान हो, प्रभु हरो तुम पीर।।
16 श्री मनोज कुमार जू सोनी रामटौरिया ने मोडन को तलैया में लोरबे अरु बालक्रीडा कौ भौत नौनौ वरनन करो है। बधाई।
बडी़ तलैया भर गई,फूली खूब गदूल,
मोडी़ मौडा़ लोरबें,छोड़ छाड़ स्कूल।
बेजाँ हटकी बाई ने,परो ने जी में चैन,
गये तलैया लोरबे,भई सुटाई यैन।
ई तरां सें आज पटल पै 16 कवियन ने अपने अपने ढंग मनकी तलैया में खूब लोरो है आनंद लऔ है। सबई ने नोनो लिखों है सभई दोहाकारों को बधाई।
?*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*?
समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, टीकमगढ़ (मप्र)
*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#