समीक्षा दिनांक 29.9.2021 समीक्षक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, टीकमगढ़
277वीं- आज की समीक्षा दिनांक 29-9-2021
बिषय- बुंदेली स्वतंत्र पद्य लेखन*
आज पटल पै बुंदेली में स्वतंत्र पद्य लेखन हतो सोउ सबई जनन ने मनकी रचनै फटकारी, कोउ नई विधा में लेखन भओ जैसे श्री संजय जू ने गोदान को भौत नोनो काव्य रूपांतरण करो है और श्री तिवारी जू ने ताका रचे है। पढ़कै भौत नौनो लगो के अपुन नये नये परयोग सोउ पटल पै करत जा रय। दोउ जनन खौ ढेर सारी बधाई।
आज सबसें पैला
1 श्री अशोक पटसारिया जू ने बुंदेली पचफेरा लिख के मजा बांद दव है बधाई।
भैया ब्याज मूर सें प्यारौ,नाती दोस्त हमारौ।
दिन भर बात मठोलत गुर सी,दिल खों बढ़ौ सहारौ।।
2 ✍️गोकुल यादव,नन्हीं-टेहरी(बुडे़रा) ने सांसी कई है कि भारत हमाव है गाँवन में बसत है। भौतई नोनी रचना लिखो है।
ऊँची है शान,महिमा महान,नीकौ विधान,है गाँवन में।
कच्चे मकान, पक्के मकान, टपरा मचान, हैं गाँवन में।
3 राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़ ने वर्ल्ड हार्ट डे 29सितंबर पर दिल की बा लिखी है।
दिल ने दिल से कइ, तुम दिल्लगी काय करत हो।
दिल ने दिली दास्तां,दबी जुबां से सुनायी।
4 श्री संजय श्रीवास्तव जी ने गोदान* के मंचन हेतु लिखा था। बुंदेली नाट्य रूपांतरण, नौनो नया प्रयोग है। बधाई।गाँव में
गाँव में है देश अपनो, देश में है गाँव।
नदिया है गहरी,हिचकौलें खाती नाव।
5 श्री शोभाराम दाँगी जू नदनवारा से धुन – कहरवा में लिखत है-
मानों चाय जिन मानों परौसन बाई दे गई उरानों /***
लरका तोरो चाल करत है / टोली -टोलियन संग घूमत है //
6 प्रदीप खरे, मंजुल जू एक नौनी चेतावनी लिख रय है बधाई।
मैली जा हो गई चदरिया, धो डारौ सांवरिया….
संग न जै कंचन काया।रै जै धरी तुम्हारी माया।।राखौ अपनी खबरिया….
7 डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,बड़ा मलहरा से बेहतरीन ग़ज़ल कै रय कै
साँसी कैबौ कर्रो हो गव,न्याय नीत में भर्रो हो गव।।
मेंगाई ने यैसौ रगडो, गोंहूं भाव गटर्रो हो गव।।
8 श्री एस आर सरल जू ने बढ़िया ग़ज़ल पटल पै धरी है। कोई सुनवे बारों नइयां बधाई
साँसी कोउ कवैया नइयाँ। कत सो कोउ सुनैया नइयाँ।।
कोउ काउ की कै नइँ पा रव।अच्छौ ‘सरल’ समैया नइयाँ।।
9 श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द ने श्याम लीला पे नौनो गीत रचो है बधाई।
धुन….मैं तो चंदा जैसी नार राजा कय लाये सौतनियाँ।
सखी में का का तुमें सुनांव,घर में घुस गव आज कन्हैया।
लूटो पुरा मुहल्ला गाँव,बची ना कोन ऊ आज कुठैया।।
10 श्री हरि राम तिवारी ‘हरि’खरगापुर जू ने जापानी छंद तांका में रचना लिखी है जौ छंद भारत में बहुत कम प्रचलित है।
मैं ‘समय’ हूं,/समय-काल -वक्त,/मुझे जानिए,
मुझे पहचानिए,/मैं अनादि अरुप।।
जिला टीकमगढ़ मध्य प्रदेश ।।
11 सीताराम जी तिवारी कलयुग की महिला बता रय है।बिषय.. झलक
कैसा कलयुग आ गया, बदल गये हैं लोग।
झलक देख नैना सिकें,लगा प्रेम का रोग।।
12 प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ एक बुंदेली की नोनी चौकड़िया लिखी है। बधाई।
आकें बैठीं सपरें खोरें ,पटियां पारत दोरें ।
तकता में मों देख देख कें, काड़त काजर कोरें।।
13 श्री रामानन्द पाठक नन्द नैगुवा से श्री राम जी की वंदना लिखते है-
आकें राम खुद देव सहारौ,संकट आन परौ जी।
जीबौ कठिन प्राण संकट में,जन जन दुख हरौ जी।।
14 श्री कल्याण दास साहू “पोषक”पृथ्वीपुर से गुटका अवगुन बता रय है। बधाई
गुटका मों में दाबियौ ,रोंथौ खूब मुराव ।
पीक भरें रओ देर तक ,ऊसइ में बतयाव ।।
15 श्री ब्रज भूषण दुवे बक्सवाहा से बर्षा गीत लिख रय है बधाई।
-जब छाये छौनर में पाना अर खपरा।अटादार बखरी है बनो नोई टपरा।
भीजवें खुवारें सब,ब -उत घर में धारे जब।सोबे की अड़चन परी। छोनई—-
ईतरां से आज ई साहित्यक जज्ञ में 15 आहूतिया डरी।
सबइ ने नौनी कविता पटल पै डारी हम भौतइ आभारी हैं ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड,जय भारत
– राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़