समा गये हो तुम रूह में मेरी
समा गये हो तुम रूह में मेरी
गुमा नहीं है तुम्हें इस बात का।
कभी थे लबों पर लफ्ज़ बनकर
आज खामोशियों में बसर करते हो।
समा गये हो तुम रूह में मेरी
गुमा नहीं है तुम्हें इस बात का।
कभी थे लबों पर लफ्ज़ बनकर
आज खामोशियों में बसर करते हो।