समाधान
सोनू ! सोनू ! राकेश ने सोनू को उसके घर के बाहर से आवाज दी ! सोनू बाहर आया तो उसने देखा कि राकेश एक नई पल्सर गाड़ी पर सवार था।
सोनू बोला क्या टशन है भाई ? ये गाड़ी कब खरीदी ? बड़े छुपे रुस्तम निकले हमें बताया तक नहीं !
राकेश बोला अभी-अभी सीधा शोरूम से तुम्हारे पास आ रहा हूं ! चलो मेरे साथ पहले घर चलते हैं और फिर मंदिर जाएंगे फिर गाड़ी की पूजा करने के बाद एक लंबी टेस्ट राइड पर निकलेंगे।
सोनू ने मां को बताया राकेश के साथ उसकी नई गाड़ी के पूजन के लिए मंदिर जा रहा है , और उसके घर ही खाना खा लेगा , इसलिए वह खाने के लिए उसका इंतजार ना करे, और वह राकेश के साथ रवाना हो गया।
रास्ते में राकेश ने पूजा का सामान खरीदा और दोनों उसके घर पहुंचे ।
दोनों ने वहां नाश्ता किया फिर मंदिर पहुंचे ,
मंदिर में पंडित जी को दक्षिणा देकर गाड़ी पूजन संपन्न करने के बाद, वे लोग लंबी राइड पर निकल गए।
रास्ते में एक ढाबे पर उन्होंने खाना खाया।
लौटते वक्त सोनू ने मोटरसाइकिल चलाई उसे गाड़ी बहुत पसंद आई।
सोनू के पूछने पर कि राकेश पास मोटरसाइकिल खरीदने के लिए इतने पैसे कहां से आए जबकि उसने कोई लोन भी मोटरसाइकिल खरीदने के लिए नहीं लिया था और गाड़ी कैश पेमेंट कर खरीदी गई थी।
राकेश ने बताया मोटर साइकिल उसने अपनी कमाई के जमा पैसों से खरीदी है।
सोनू की समझ में नहीं आया कि इतने ज्यादा पैसे राकेश कैसे कमा सकता है। इस पर राकेश ने कहा
वह वक्त आने पर उसे सब कुछ समझा देगा अभी उसकी चिंता ना करें और इंजॉय करें।
शाम को दोस्तों के साथ पार्टी का प्रोग्राम बना और हंसी खुशी वह दिन निकल गया।
कुछ दिनों से सोनू देख रहा था कि राकेश दोस्तों पर काफी पैसा खर्च कर रहा था ।
उसके रहन-सहन में भी काफी परिवर्तन आ गया था।
महंगी घड़ी, सोने का ब्रेसलेट, गले में सोने की चेन महंगे जूते , व महंगे मोबाइल उसने खरीद लिए थे।
सोनू की समझ में नहीं आ रहा था इतनी जल्दी राकेश कैसे अमीर बन सकता है ?
वह ऐसा क्या धंधा कर रहा है जिससे वह रातों रात अमीर बन बैठा है।
एक दिन सोनू के बहुत पूछने पर उसने बताया कि वह सामान पहुंचाने का कुरियर का काम करता है , जिससे उसे काफी मेहनताना मिलता है।
वह अगर चाहे तो वह भी यह काम कर सकता है जिसके लिए रोज दो घंटे काम करने पर हजारों रुपए कमाए जा सकते हैं।
सोनू का माथा ठनका वह समझ गया कि राकेश ड्रग सप्लाई का धंधा करने लगा है।
अतः उसने उससे एवं उसके दोस्तों से दूरियां बनानी शुरू कर दी।
वह नहीं चाहता था उनके चक्कर में उसका भविष्य बर्बाद हो जाए।
इधर राकेश के दोस्तों में कई उसके साथ उसके धंधे में शामिल हो गए।
राकेश और उसके दोस्त आए दिन पार्टी किया करते थे , और कॉलेज में नियमित रूप से उपस्थित नहीं रहते थे।
उस दिन बाजार में उसे विजय के पिताजी मिले तो सोनू ने उनसे पूछा कि आजकल विजय कॉलेज नहीं आ रहा है क्या उसकी तबीयत ठीक है ?
इस पर विजय के पिता रामचंद्र अचंभित हुए कहा कि वह तो रोज कॉलेज जाने की कहकर घर से निकलता है क्या कॉलेज आता नहीं है ?
इस पर सोनू ने कहा वह पिछले पूरे महीने एक भी दिन कॉलेज नहीं आया है। इस पर रामचंद्र जी काफी चिंतित हुए और उन्होंने सोनू से पूछा क्या तुम उसके दोस्तों को जानते हो ?
इस पर सोनू ने कहा हाँ ; मैं उसके के कुछ दोस्तों को जरूर जानता हूँ। परंतु उन दोस्तों के रंग ढंग अच्छे नहीं हैं। इस विषय में मैं आपको कुछ विस्तृत रूप से बताना चाहता हूं । इस पर रामचंद्र जी ने कहा यदि तुम्हारे पास समय हो तो हम पास के पार्क में बैठते हैं । तुम मुझको इस संदर्भ में जो कुछ जानते हो बता सकते हो ।
सोनू ने जो भी उसे जानकारी थी रामचंद्र जी को बताई और उसने यह भी बताया कि राकेश ने उसे धंधे में शामिल होने का प्रस्ताव भी दिया था जिसे उसने अस्वीकार कर दिया। परंतु उसके कुछ दोस्त उसके धंधे में शामिल हो गए । जिनमें विजय के भी शामिल होने की संभावना थी।
सोनू ने रामचंद्र जी से निवेदन किया यह सब उसने बताया है ऐसा राकेश और उसके मित्रों को पता नहीं लगना चाहिए , नहीं तो वे उससे बदला लेने के लिए उसे हानि पहुंचा सकते हैं।
सोनू एक सुलझा हुआ होशियार लड़का था उसने रामचंद्र जी को सुझाव दिया कि वे विजय से इस विषय में कोई चर्चा ना करें और जाकर राकेश के पिता से मिलें उनके साथ चर्चा कर समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश करें। बेहतर यह होगा कि राकेश के समस्त मित्रों जो इस धंधे में संलग्न हैं; के अभिभावकों से मिलकर उन्हें भी अपने साथ लेकर एक अभियान के तहत कार्यवाही करें ।
इस विषय में शीघ्रातिशीघ्र कार्यवाही करें अन्यथा विलंब होने पर स्थिति बिगड़ने पर इसमें संलिप्त लड़कों का जीवन बर्बाद हो सकता है।
रामचंद्र जी को सोनू का सुझाव बहुत पसंद आया और उन्होंने उसे आश्वासन दिया कि वो उसके सुझाव अनुसार समस्या का समाधान करने का प्रयास करेंगे।
रामचंद्र जी सोनू से राकेश के घर का पता लिया और दूसरे दिन सवेरे राकेश के पिता से जाकर मिले।
राकेश के पिता किशोरी लाल जी की बिजली के उपकरण की दुकान थी वे सवेरे 10:00 बजे दुकान खोल देते थे।
किशोरीलाल जी ने रामचंद्र जी का स्वागत किया उनसे आने का प्रयोजन पूछा।
इस पर रामचंद्र जी ने किशोरी लाल जी को उनके पुत्र द्वारा संचालित धंधे के बारे में बतलाया।
यह सुनकर किशोरीलाल स्तंभित हो गए उन्हें इस विषय में कुछ भी पता नहीं था।
उन्हें राकेश ने बताया था कि उसने एक कोरियर कंपनी ज्वाइन की है जिसमें खाली समय में वह काम कर करता है ;और उसी कंपनी ने उसे वह गाड़ी दी है।
चूंकि किशोरी लाल एक व्यवसाई थे ,उन्हें अपने बेटे का खाली समय का सदुपयोग करने में बुरा नहीं लगा था। उन्होंने सोचा चलो अपने जेब खर्चे के लिए पैसे तो कमा लेगा और साथ ही उसे मेहनत की कमाई का एहसास तो होगा।
उन्हें पता नहीं था कि उनका बेटा एक भयंकर ड्ग्स रूपी दलदल में फंसने जा रहा है , जिसमें उलझ कर उसकी जिंदगी बर्बाद हो सकती है।
रामचंद्र जी ने किशोरी लाल को सलाह दी इस विषय में वह कोई भी चर्चा राकेश से ना करें।
अन्य अभिभावकों से मिलकर इस विषय में एक अभियान के तहत समस्या का समाधान किया जा सकता है।
उन्होंने किशोरी लाल जी को अभियान की रूपरेखा बतलाई कि सभी अभिभावकों से संपर्क कर एक मीटिंग बुलाई जाएगी जहां पर इस विषय पर गंभीर चिंतन कर कार्यवाही करने के लिए पुलिस कमीश्नर से संपर्क किया जाएगा ।
जिसके तहत पुलिस उन सभी लड़कों को गिरफ्तारी का नाटक कर थाने बुलवाकर उन्हें दिन भर बिठाकर चेतावनी देकर छोड़ देगी , जिससे लड़कों में पुलिस का भय व्याप्त हो जाए और वे इस प्रकार के धंधे से दूर रहें।
इस प्रकार सोनू की मदद से रामचंद्र जी एवं किशोरी लाल जी ने ने उन सभी अभिभावक के पते पता कर , एक निर्धारित समय एवं स्थान पर मीटिंग का आयोजन किया । जिसमें सर्वसम्मति से पुलिस कमिश्नर से मिलकर कार्यवाही करने का प्रस्ताव पास किया।
दूसरे दिन अभिभावकों का प्रतिनिधि मंडल एवं सोनू निर्धारित समय पर पुलिस कमिश्नर से मिलने गए और अपना प्रस्ताव उनके सामने रखा।
पुलिस कमिश्नर को प्रस्ताव पसंद आया और उन्होंने अभिभावकों की सोच का स्वागत किया कि समय के रहते उन्होंने युवा पीढ़ी के भविष्य को बर्बाद होने से बचाने के लिए एक अभिनव कदम उठाया है।
तदनुसार पुलिस कमिश्नर ने उन समस्त थानों को
जो उन सभी लड़कों के पतों के अंतर्गत आते थे उचित कार्रवाई के निर्देश दिए और लड़कों की निशानदेही पर उन सभी ड्रग्स का धंधा करने वालों को गिरफ्तार कर उन पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
पुलिस ने उन सभी ड्रग्स का धंधा करने वाले को पकड़ कर उनसे ड्रग्स बरामद कर उन पर केस दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया।
उन सभी लड़कों को बुलाकर दिनभर थाने में बिठाकर उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया।
इस तरह सोनू की सुलझी सोच एवं रामचंद्र जी एवं किशोरी लाल जी की सद्भावना एवं समस्त अभिभावकों के सहयोग से युवा पीढ़ी का भविष्य बर्बाद होने से बच गया ।
अतः समाज से बुराइयों के निराकरण एवं समस्याओं के समाधान हेतु सद्भावना , सामाजिक सहयोग , प्रबुद्ध सोच , एवं समयानुसार उचित कार्यान्वयन आवश्यक है।