“समाज का भला हो सकता है”
“समाज का भला हो सकता है”
हर इंसान के अंदर कुछ ना कुछ
अच्छाई तो जरूर होती है….
भले हम नोटिस उसे नहीं कर पाते हैं,
हर इंसान खुद के अंदर की
इन खूबियों को संचित करे
और उसे वास्तविकता की धरातल पर
लाकर औरों की सेवा में समर्पित करे
तो समाज का भला हो सकता है,
खुद का भी कल्याण हो सकता है और
सबकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
…. अजित कर्ण ✍️