समस्या का समाधान
✍?क्युँ साहब इस वर्ष छठ नहीं मनाने से कोरोना का वैक्सीन आ जाएगी क्या?
हिंदु आस्था के पर्व या युँ कहे यह महापर्व है हम हिंदुओं का। गत दिनों चुनावी प्रचार प्रसार के दौरान हजारों लाखों जनसैलाब के साथ हमारे नेता लोग क्या क्या नहीं किए बताइए,क्या सभी चुनावी सभा में माननीय प्रधानमंत्री के यथोचित कथन social distance का पालन हुआ? नहीं न!
पुरे भारत खासकर बिहार, झारखण्ड राज्यों में छठी मैईया को आराध्य मानकर छठ का महापर्व प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
हमारी आस्था कोई मजाक नहीं है साहब!
कोरोना वायरस से आज पुरा विश्व जुझ रहा है किंतु अभी तक किसी भी राष्ट्र ने धार्मिक आस्था पर कटाक्ष नहीं किया।हाँ, मंदिर-मस्जिद जरूर बंद रहे कुछ महिनों तक। किंतु एक बात पुरी ईमानदारी के साथ कहना चाहुँगा कि समाधान समस्या का हल ढुँढने में है न कि समस्या को कम करने में। कितने दिनों तक मंदिर मस्जिद एवं गुरुद्वारा में प्रतिबंद रहेगा साहब, कब तक धार्मिक आस्था का प्रतिहार होता रहेगा और हम सब मुकदर्शक बने रहेंगे। वैक्सीन बनाना ही जब समाधान है, तो सारा ध्यान वैक्सीन पर लगानी चाहिए थी।
क्या कोरोना काल में चुनावी सभा स्थगित नहीं की जा सकती थी? जरुर की जा सकती यदि आप चाहते तो। परंतु कोरोना काल में सबसे ज्यादा यदि कोई परेशानी झेला है, तो वो है मध्यवर्गीय परिवार।
और सुखी संपन्न नेतागण आप सब से करबद्ध निवेदन यदि precautions और सामाजिक दुरी के साथ चुनावी सभा हो सकते हैं तो जरूर छठ भी की जा सकती है। कृप्या धार्मिक आस्था के साथ राजनिति न करें।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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??चंदन कुमार पाण्डेयः
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