समसामयिक
बगावत छेंड़ दी, बाग की लताओं नें,
माली कैद है, हमपर राज किसका है।
कारजा़र सा माहौल है, अपनों का अपनों से,
अपना सा ये काजि़ब, समाज किसका है।
बगावत छेंड़ दी, बाग की लताओं नें,
माली कैद है, हमपर राज किसका है।
कारजा़र सा माहौल है, अपनों का अपनों से,
अपना सा ये काजि़ब, समाज किसका है।