समसामयिक कुण्डलिया: स्वार्थ का त्यागें चोला..
चोला ओढ़े स्वार्थ का, दिखा रहे हैं क्रोध.
किसको क्या परवाह है, करते रहें विरोध.
करते रहें विरोध, मजा अब लेना छोड़ें.
मत दें तीन तलाक! क्रूर वे रस्में तोड़ें.
हो जाए बिल पेश, न्याय पर परखा तोला.
बने रहें इंसान, न धारें ऐसा चोला..
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’