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5 Feb 2024 · 1 min read

समर्पण…..

समर्पण…..

उतरती गई
त्वचा की परतें
रात के साथ
एक विप्लव प्रस्फुटित हुआ
मौन के उदधि में
खंडित हो गई
चरम अनम्यता
समर्पण की

सुशील सरना /5-2-24

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